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Rajonivriti ke samay me snayavik chidchidahat "रजोनिवृत्ति के समय में स्नायविक चिड़चिड़ाहट " ka Homeopathy Ilaj.

रजोनिवृत्ति के समय में स्नायविक चिड़चिड़ाहट 

Rajonivriti ke samay me snayavik chidchidahat



रजोनिवृत्ति के समय स्नायु-संस्थान गड़बड़ा जाता है जिसके कारण से स्त्रियों में कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं-बेहोश हो जाना, गर्मी के झलें आना, मुंह एकदम लाल हो जाना, काम में उत्साह न रहना, मन का उखड़ जाना, स्मृति-शक्ति कमजोर हो जाना, अवसाद उत्पन्न होना, डर लगना, खिन्नता उत्पन्न होना, मेलेंकोलिया आ घेरना, हिस्टीरिया रोग हो जाना, कभी हंसना तो कभी रोना आदि। 

रजोनिवृत्ति के समय में स्नायविक चिड़चिड़ाहट होने पर औषधियों से चिकित्सा :- 

1. कॉलोफाइलम :- रजोनिवृत्ति के समय में स्नायविक चिड़चिड़ाहट स्त्री को हो तो उसके इस कष्ट को दूर करने के लिए कॉलोफाइलम औषधि की 3 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं लेकिन रोगी स्त्री में इस प्रकार के लक्षण होने चाहिए जैसे- छोटी-छोटी बात पर चिंता, बेचैनी, छोटे जोड़ों में दर्द, माथे पर दाग पड़ना, जरायु में सुई की तरह चुभन होना तथा यह दर्द पुरे अंग में फैल जाना आदि। 

2. ग्लोनॉयन :- रजोनिवृत्ति के समय में स्नायविक चिड़चिड़ाहट होना तथा अधिक उत्तेजना होना और सिर में दर्द होना, खून का दौरा सिर की तरफ होना, चेहरे पर लाली पड़ना आदि प्रकार के कष्ट स्त्री को हो तो उसके इस रोग का उपचार करने के लिए ग्लोनॉयन औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। 

3. एमिल नाइट्राइट :- रजोनिवृति के समय स्त्री में इस प्रकार के लक्षण हों जैसे- स्नायविक चिड़चिड़ाहट होना तथा किसी से घबराहट होने के साथ ही चेहरे पर लाली आ जाना, चेहरा फूल जाना, सांस भारी हो जाना, दिल धड़कता है लेकिन नाड़ी कमजोर होती है, दिल सिकुड़ता सा रहता है। ऐसी स्त्री इस प्रकार के कष्टों के कारण से बिस्तर पर से उठकर बैठ जाती है। ऐसी स्त्री के इस रोग को ठीक करने के लिए एमिल नाइट्रिक औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।

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