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Rajonivriti ke Samay me Raktstrav "रजोनिवृत्ति के समय में रक्तस्राव" ka Homeopathy Ilaj

रजोनिवृत्ति के समय में रक्तस्राव 

Rajonivriti ke Samay me Raktstrav



रजोनिवृत्ति के समय में तो स्त्रियों का मासिकस्राव आना बंद हो जाता है लेकिन किसी-किसी स्त्री को अनियमित रक्तस्राव होने लगता है। ऐसी अवस्था में स्त्री के इस कष्ट का उपचार करना बहुत जरूरी है। 

रजोनिवृत्ति के समय में रक्तस्राव होने पर औषधियों से चिकित्सा :- 

1. सैग्विनेरिया :- रजोनिवृत्ति में कभी-कभी दो महीनों के बीच के समय में अधिक मात्रा में स्राव हो रहा हो और रोगी स्त्री में इस प्रकार के लक्षण हों जैसे-आधे सिर में दर्द रहना, हथेली तथा तलुवों में आग के शोले जैसी गर्मी महसूस होना, गर्म झलों से चेहरा लाल हो जाना, हल्का पसीना आने पर यह लाली का गायब हो जाना, स्राव चमकदार लाल होना आदि। ऐसी स्त्री के इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए सैग्विनेरिया औषधि की 3X मात्रा का उपयोग करना अधिक लाभदायक होता है। 

2. चायना :- रजोनिवृत्ति के समय में यदि किसी स्त्री के योनि से लगातार थक्केदार खून बह रहा हो तथा जरायु में अधिक खून जमा हो गया हो तथा इस प्रकार के खून की अधिकता के कारण से पेडू पर बोझ महसूस हो रहा हो, सिर में रक्त संचय हो, चेहरा फूला-फूला होना, आंखें पनीली होना, शरीर के रक्त-संचार में गड़बड़ी होना, शरीर में कहीं खून ज्यादा होना तो कहीं कम आदि प्रकार के कष्ट स्त्री में दिखाई दें तो उसके इस प्रकार के कष्टों को दूर करने के लिए चायना औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभदायक होता है। 

3. क्रियोसोट :- रजोनिवृत्ति के समय में स्त्री में कई प्रकार के विकार के लक्षण उत्पन्न होने के साथ ही काला खून का स्राव हो रहा हो तो ऐसी स्त्री के इस रोग को ठीक करने के लिए क्रियोसोट औषधि की 3, 30 या 200 शक्ति का प्रयोग करना उचित होता है। इस औषधि से स्त्री का उपचार करते समय कुछ इस प्रकार के लक्षण होने चाहिए - जांघों तथा जननांगों में तेज खुजली होना, दो मासिकधर्म के समय के बीच के दिनों में पीला तथा तीखा प्रदर स्राव होना आदि।


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