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Prasav ke Baad Garbhashaya ka apne sthan se hat jana "प्रसव के बाद गर्भाशय का अपने स्थान से हट जाना" ka Homeopathy Ilaj.

प्रसव के बाद गर्भाशय का अपने स्थान से हट जाना 

Prasav ke Baad Garbhashaya ka apne sthan se hat jana



परिचय- कमजोर शरीर के स्त्रियों को प्रसव के बाद गर्भाशयी सम्बंधी दो तरह की परेशानियां पैदा हो जाती है एक तो गर्भाशय का अपने स्थान से हट जाना जिसे गर्भाशय की स्थान-च्युति कहते हैं। दूसरा गर्भाशय का लटककर योनि तक या योनि के बाहर आ जाना जिसे प्रोलैप्स कहा जाता है। इन दोनों रोगों को नाल हटने का रोग भी कहा जाता है। इस रोग में तल-पेट में गर्भाशय की जगह पर दर्द होता है, मल-मूत्र क्रिया के समय परेशानी होती है, श्वेतप्रदर (योनि में से सफेद पानी आना), खून आना या खून की कमी हो जाना, बांझपन आना। 

विभिन्न औषधियों से उपचार: 

1. एलो- स्त्री के प्रसव के बाद गर्भाशय के अपने स्थान से हट जाने तथा प्रोलैप्सस के साथ दस्त आने में एलों औषधि लाभकारी रहती है। रोगी स्त्री को अपना गर्भाशय भारी सा महसूस होता है जिसके कारण उससे ज्यादा देर तक खड़ा भी नहीं रहा जाता या ज्यादा दूर तक पैदल भी नहीं चला जाता है। इस तरह का भारीपन ज्यादातर गुदा में महसूस होता है। इन लक्षणों में अगर रोगी स्त्री को ऐलो औषधि की 3 शक्ति दी जाए तो उसे लाभ होता है। 

2. सीपिया- रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उसके जननेन्द्रिय के सारे अंग योनि में से बाहर निकल रहे हैं। इस तरह के लक्षणों में सीपिया औषधि की 12 या 30 शक्ति लाभदायक होती है। 

3. फैक्सीनस-अमेरिकैना- गर्भाशय का बढ़ जाना, प्रसव के बाद गर्भाशय का अपनी पहली जैसी स्थिति में ना आना, गर्भाशय का प्रोलैप्सस, गर्भाशय का फोड़ा, रोगी स्त्री को ऐसा महसूस होता है जैसे कि तल-पेट में भारीपन सा हो रहा हो। इस तरह के लक्षणों में फैक्सीनस-अमेरिकैना औषधि के रस की 10-15 बूंदों को दिन में 3 बार हल्के गर्म पानी के साथ लेते रहने से लाभ मिलता है। 

4. एलूमेन- एलूमेन फिटकरी को ही कहा जाता है। प्रसव के बाद स्त्री का ज्यादा मात्रा में खून बहने के परिणामस्वरूप तल-पेट में बोझ बने रहना तथा प्रोलैप्सस रोग में एलूमेन औषधि की 30 या 200 शक्ति लाभकारी रहती है। 

5. रूटा- स्त्री के प्रसव के पहले या बाद में मलक्रिया के दौरान थोड़ा सा भी जोर लगाने पर प्रोलैप्सस की शिकायत पैदा हो जाने और पुरुषों में गुदा-भ्रंश में रूटा औषधि की 6 शक्ति लाभकारी रहती है। 

6. पोडोफाइलम- स्त्री के प्रसव के बाद गर्भाशय का प्रोलैप्सस का रोग हो जाना, गर्भावस्था के दौरान अगर भारी सामान को उठाने से इस तरह की परेशानी पैदा हो जाए तो उस समय पोडोफाइलम औषधि का रस या 6 शक्ति लाभदायक रहती है। 

7. हेलोनियास- रोगी स्त्री को अपना गर्भाशय भारी सा लगने के साथ उसमें दर्द होता है। उसे ऐसा अपना गर्भाशय अलग सा ही महसूस होता है जबकि स्वस्थ व्यक्ति को कभी अपने शरीर का कोई अंग अलग से महसूस नहीं होता है। प्रसव के बाद कमर में दर्द होते रहना आदि लक्षण जो अक्सर गर्भाशय के अपने स्थान से हट जाने के कारण होते हैं। इन लक्षणों के आधार पर अगर रोगी स्त्री को हेलोनियास औषधि का रस या 6 शक्ति दी जाए तो उसे लाभ मिलता है।


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